1 00:00:03,000 --> 00:00:06,000 यह कहानी किसी वीरगाथा से कम नहीं 2 00:00:10,320 --> 00:00:15,320 यह कहानी ब्रह्माण्ड के प्रति हमारी जिज्ञासा, साहस और धीरज की ... 3 00:00:19,000 --> 00:00:24,000 और ये कि क्यों यूरोपवासी तारे देखने के लिए दक्षिण गए. 4 00:01:13,000 --> 00:01:17,000 जी हाँ दक्षिण. 5 00:01:18,000 --> 00:01:23,000 स्वागत है आपका 'ईएसओ' यानि यूरोपीयन सदर्न आब्जेर्वेटरी में. 6 00:01:24,999 --> 00:01:28,400 पचास साल पुरानी पर पहले से भी अधिक जीवंत. 7 00:01:34,520 --> 00:01:37,520 'ईएसओ' यूरोप का तारों की दुनिया का प्रवेश द्वार है. 8 00:01:38,280 --> 00:01:41,280 यहाँ पन्द्रह देशों के खगोलशास्त्री 9 00:01:41,320 --> 00:01:44,240 हाथ मिलाकर ब्रह्माण्ड के रहस्यों के पटाक्षेप में जुटे हैं. 10 00:01:44,960 --> 00:01:45,960 कैसे? 11 00:01:45,999 --> 00:01:49,400 पृथ्वी की सबसे बड़ी दूरबीनें बनाकर. 12 00:01:49,440 --> 00:01:51,840 सुग्राही कैमरे और अन्य संयंत्र बनाकर. 13 00:01:52,280 --> 00:01:54,280 आकाश के चप्पे-चप्पे की पड़ताल कर. 14 00:01:57,000 --> 00:02:00,000 इस कार्य में उन्होंने निकट और दूर के पिंडों को देखा, 15 00:02:00,000 --> 00:02:03,000 सौर मंडल के भ्रमणकारी धूमकेतुओं से लेकर 16 00:02:03,000 --> 00:02:06,560 दिक्काल की बाहरी सीमा पर दूरस्थ मंदाकिनियों तक, 17 00:02:06,600 --> 00:02:12,000 जिसने हमें नयी दृष्टि दी और ब्रह्माण्ड के अभूतपूर्व दृश्य दिखाए. 18 00:02:42,560 --> 00:02:45,840 एक ऐसा ब्रह्मांड जो पहेलियों और रहस्यों से ओतप्रोत है. 19 00:02:46,320 --> 00:02:48,080 और अलौकिक सौंदर्य. 20 00:02:50,080 --> 00:02:52,080 सुदूर चिली के पर्वत शिखरों पर, 21 00:02:52,120 --> 00:02:54,880 यूरोपीय खगोलशास्त्री तारों को मानों छूने का प्रयास कर रहे हों. 22 00:02:55,999 --> 00:02:57,160 पर चिली क्यों? 23 00:02:57,160 --> 00:02:59,400 इतना दूर दक्षिण जाने की क्या जरूरत थी? 24 00:03:02,560 --> 00:03:07,800 यूरोपीयन सदर्न आब्जेर्वेटरी का मुख्यालय जर्मनी के गार्चिंग में है. 25 00:03:11,880 --> 00:03:16,000 पर यूरोप से आकाश का केवल एक ही भाग देखा जा सकता है. 26 00:03:16,000 --> 00:03:19,080 इसकी पूर्ति के लिए दक्षिण जाना ही पड़ता है. 27 00:03:27,880 --> 00:03:32,999 पिछली कई सदियों तक दक्षिण के आकाश के मानचित्रों में व्यापक रिक्त स्थान थे. 28 00:03:33,000 --> 00:03:36,000 आकाश का अज्ञात भू-भाग. 29 00:03:37,200 --> 00:03:38,800 1595 में, 30 00:03:39,440 --> 00:03:43,320 पहली बार जब डच व्यापारी ईस्ट इंडीज़ की समुद्री यात्रा पर निकले 31 00:03:49,880 --> 00:03:54,320 तो रात में पीटर केज़र और फ्रेडरिक ड हाउटमैन नामक नाविकों ने 32 00:03:54,320 --> 00:03:59,400 दक्षिण के आकाश के 130 से अधिक तारों की स्थितियां नापीं. 33 00:04:05,600 --> 00:04:10,600 शीघ्र ही आकाश के ग्लोब और मानचित्रों में बारह नए तारामंडल दर्शाये जाने लगे, 34 00:04:10,640 --> 00:04:14,840 जिन्हें इससे पहले किसी यूरोपवासी ने नहीं देखा था. 35 00:04:16,280 --> 00:04:20,280 ब्रितानी लोगों ने सर्वप्रथम एक खगोलीय सीमान्त चौकी बनाई 36 00:04:20,280 --> 00:04:21,920 दक्षिणी गोलार्ध में. 37 00:04:22,320 --> 00:04:27,320 सन् 1820 में केप-ऑफ़-गुड-होप में रॉयल आब्जेर्वेटरी स्थापित हुयी. 38 00:04:28,640 --> 00:04:33,160 कुछ ही समय बाद जॉन हर्शेल ने अपनी निजी आब्जेर्वेटरी बनाई 39 00:04:33,160 --> 00:04:36,040 दक्षिण अफ्रीका के प्रसिद्द टेबल पर्वत के समीप. 40 00:04:37,999 --> 00:04:38,999 उफ़, क्या नज़ारा था! 41 00:04:39,920 --> 00:04:44,920 सर पर काला आकाश, चमकीले तारक गुच्छ और तारों के बादल. 42 00:04:46,160 --> 00:04:49,999 कोई ताज्जुब नहीं कि शीघ्र ही हार्वर्ड, येल और लीडन कि वेधशालाओं ने भी 43 00:04:50,000 --> 00:04:53,720 यही किया, अपनी अपनी दक्षिणी चौकियां बनायीं. 44 00:04:53,760 --> 00:04:57,000 पर दक्षिण के आकाश के अनुसंधान के लिए 45 00:04:57,000 --> 00:05:01,000 अब भी बहुत साहस, उत्कंठा और धैर्य की आवश्यकता थी. 46 00:05:06,400 --> 00:05:08,600 पचास साल पहले तक, 47 00:05:08,600 --> 00:05:12,240 विश्व की अधिकांश बड़ी दूरबीनें भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित थीं. 48 00:05:13,040 --> 00:05:15,360 तो आखिर दक्षिण के आकाश को इतनी महत्ता क्यों दी गयी? 49 00:05:17,680 --> 00:05:21,640 सबसे पहले तो इसलिए कि ये एक अनजाना क्षेत्र था. 50 00:05:22,120 --> 00:05:24,640 आप यूरोप में बैठे बैठे पूरा आकाश नहीं देख सकते. 51 00:05:25,320 --> 00:05:29,320 इसका प्रमुख उदाहरण है हमारी आकाशगंगा मन्दाकिनी का केन्द्र. 52 00:05:29,880 --> 00:05:32,880 यह भाग उत्तरी गोलार्ध से लगभग नहीं दिखाई देता, 53 00:05:32,920 --> 00:05:34,920 पर दक्षिण में ये भाग सिर के ऊपर से गुज़रता है. 54 00:05:36,960 --> 00:05:38,960 और फिर वे मैगेलन के बादल - 55 00:05:38,999 --> 00:05:42,280 हमारी आकाशगंगा मन्दाकिनी की दो छोटी सहचरी मंदाकिनियाँ. 56 00:05:42,440 --> 00:05:47,360 उत्तरी गोलार्ध से अदृश्य पर भूमध्य रेखा के दक्षिण में एकदम सुस्पष्ट. 57 00:05:48,440 --> 00:05:49,440 और अंततः, 58 00:05:49,520 --> 00:05:53,840 यूरोपीय खगोलविद प्रकाश प्रदूषण एवं बुरे मौसम से भी पीड़ित थे. 59 00:05:53,880 --> 00:05:57,120 ऐसा लगा दक्षिण जाने से इन समस्याओं से निज़ात मिल जायेगी. 60 00:06:00,080 --> 00:06:04,720 हालैंड की प्रसिद्ध इस्सेल्मेर झील में 1953 में 61 00:06:05,000 --> 00:06:07,600 नौका विहार करते समय 62 00:06:07,600 --> 00:06:10,600 जर्मन/अमेरिकन खगोलशास्त्री वाल्टर बादे 63 00:06:10,600 --> 00:06:13,000 और हालैंड के खगोलशास्त्री येन ऊर्ट ने 64 00:06:13,000 --> 00:06:16,000 अपने साथियों को दक्षिणी गोलार्ध में 65 00:06:16,000 --> 00:06:18,000 यूरोपीय वेधशाला के सपने के बारे में बताया. 66 00:06:22,160 --> 00:06:26,720 किसी यूरोपीय देश के लिए अकेले अमरीका से प्रतिस्पर्धा करना संभव न था. 67 00:06:27,240 --> 00:06:29,240 पर शायद मिलकर वे ऐसा कर सकते. 68 00:06:29,560 --> 00:06:34,560 सात महीने बाद, छः देशों के बारह खगोलशास्त्री यहाँ मिल बैठे - 69 00:06:34,560 --> 00:06:37,080 - लीडन विश्वविद्यालय के उत्कृष्ट सभागार में. 70 00:06:37,960 --> 00:06:39,400 उन्होंने एक वक्तव्य पर हस्ताक्षर किये, 71 00:06:39,400 --> 00:06:45,000 अपनी यह इच्छा बताते हुए कि दक्षिण अफीका में यूरोपीय वेधशाला स्थापित हो. 72 00:06:45,040 --> 00:06:48,000 इसने 'ईएसओ' के जन्म का मार्ग प्रशस्त किया. 73 00:06:48,760 --> 00:06:50,880 पर ज़रा रुकिए! ... दक्षिण अफीका? 74 00:06:52,520 --> 00:06:54,440 हाँ, यह ठीक ही था. 75 00:06:54,600 --> 00:07:00,000 दक्षिण अफीका में पहले से ही केप वेधशाला थी और 1909 के बाद, 76 00:07:00,000 --> 00:07:03,000 जोहान्सबर्ग स्थित ट्रांसवाल वेधशाला. 77 00:07:03,000 --> 00:07:07,600 लीडन वेधशाला ने भी दक्षिण में अपनी पहचान हार्त्बीस्पूर्ट में बना रखी थी. 78 00:07:09,960 --> 00:07:11,960 सन् 1955 में, 79 00:07:11,999 --> 00:07:17,520 खगोलविदों ने इन स्थानों पर परीक्षण उपकरण लगाये - 80 00:07:17,600 --> 00:07:24,000 ग्रेट करू में जीकोएगात और ब्लूमफोंटेन में ताफेल्कोप्जे पर. 81 00:07:25,000 --> 00:07:27,640 पर मौसम का मिजाज़ ठीक न था. 82 00:07:29,000 --> 00:07:34,720 और फिर 1960 में उत्तरी चिली के ऊबड़ खाबड़ पथरीले क्षेत्र पर ध्यान गया. 83 00:07:35,640 --> 00:07:38,999 इस बीच अमेरिकन खगोलविद भी दक्षिणी गोलार्द्ध में 84 00:07:39,000 --> 00:07:41,600 अपनी वेधशाला बनाने का सपना सँजो रहे थे. 85 00:07:41,600 --> 00:07:48,000 कठिन घुड़सवारी के अभियानों ने यह सिद्ध कर दिया कि ये चिली से बेहतर है. 86 00:07:48,040 --> 00:07:52,400 फिर 1963 में पासा सही पड़ा. वह उपयुक्त स्थान चिली ही है. 87 00:07:53,000 --> 00:07:56,000 छः मास बाद सर्रो ला सिला को 88 00:07:56,000 --> 00:07:59,520 भविष्य की यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला के लिए चुना गया. 89 00:07:59,800 --> 00:08:03,000 अब 'ईएसओ' कोई निरा सपना नहीं रह गयी थी. 90 00:08:03,240 --> 00:08:10,280 अंत में, पांच यूरोपीय देशों ने 'ईएसओ' करार पर हस्ताक्षर किये – दिन था – 5 अक्टूबर 1962- 91 00:08:10,840 --> 00:08:15,680 यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला का प्रामाणिक जन्मदिन. 92 00:08:15,720 --> 00:08:19,600 बेल्जियम, जर्मनी, फ्राँस, नीदरलैंड्स और स्वीडन 93 00:08:19,600 --> 00:08:24,000 ने दक्षिणी तारों की खोज के लिए साथ में काम करने की शपथ ली. 94 00:08:25,680 --> 00:08:29,680 इसके लिए ला सिला और उसके आसपास का क्षेत्र चिली की सरकार से खरीदा गया. 95 00:08:30,440 --> 00:08:32,720 निपट सुनसान इलाके में यकायक एक सड़क निकल आयी. 96 00:08:33,880 --> 00:08:38,999 'ईएसओ' की प्रथम दूरबीन ने रोटेरडम की एक स्टील फैक्टरी में आकार लेना शुरू किया. 97 00:08:40,880 --> 00:08:43,600 और दिसम्बर 1966 में, 98 00:08:43,640 --> 00:08:49,000 यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला ने अपनी पहली आँख आकाश पर खोली. 99 00:08:49,000 --> 00:08:54,320 यूरोप ब्रह्माण्ड की एक महान खोजयात्रा पर अग्रसर हो चला था. 100 00:09:00,000 --> 00:09:05,000 हमारी नज़र है अब ऊपर. 101 00:09:07,000 --> 00:09:14,640 1,67,000 वर्ष पहले, हमारी आकाशगंगा की परिक्रामारत एक छोटी मंदाकिनी में एक तारे में विस्फोट हुआ. 102 00:09:17,720 --> 00:09:20,160 जब यह विस्फोट हुआ, 103 00:09:20,200 --> 00:09:24,440 उस समय हमारे आदि पूर्वज 'होमो सेपिएन्स' अफ़्रीका के सावन्ना के वनों में विचरण कर रहे थे. 104 00:09:26,720 --> 00:09:29,640 तब किसी ने भी आकाश में यह आतिशबाजी नहीं देखी होगी. 105 00:09:29,760 --> 00:09:34,920 कारण तब उसका प्रकाश वहाँ से चला भर था. 106 00:09:36,240 --> 00:09:41,280 जब प्रकाश ने हम तक की यात्रा का 98% मार्ग तय कर लिया था 107 00:09:41,360 --> 00:09:46,200 तब पृथ्वी पर यूनानी दार्शनिकों ने ब्रह्मांड के बारे में चिन्तन बस आरम्भ ही किया था. 108 00:09:48,520 --> 00:09:50,840 उस प्रकाश के पृथ्वी पर पहुँचने से ठीक पहले 109 00:09:50,920 --> 00:09:56,400 गैलिलीओ गैलिली ने अपनी पहली साधारण सी दूरबीन से आकाश का संधान किया. 110 00:09:59,800 --> 00:10:03,000 और जब 24 फरवरी 1987 को, 111 00:10:03,200 --> 00:10:07,280 उन प्रकाश कणों की पहली बार पृथ्वी पर वृष्टि हुयी, 112 00:10:07,360 --> 00:10:12,200 तब यहाँ खगोलशास्त्री उस सुपरनोवा विस्फोट का विषद अध्ययन करने के लिए पूरी तरह लैस थे. 113 00:10:13,760 --> 00:10:15,760 सुपरनोवा 1987अ 114 00:10:15,800 --> 00:10:17,920 दक्षिण के आकाश में धधकने लगा - 115 00:10:17,999 --> 00:10:20,999 पर यूरोप और अमेरिका से यह नहीं दिखाई दे रहा था. 116 00:10:21,000 --> 00:10:25,560 पर तब तक 'ईएसओ' ने चिली में अपनी पहली बड़ी दूरबीन बना ली थी 117 00:10:25,560 --> 00:10:30,000 जिससे खगोलशास्त्रियों को इस ब्रह्मांडीय नाटक को प्रेक्षागृह में प्रथम पंक्ति में बैठकर देखने का अवसर मिला. 118 00:10:32,560 --> 00:10:35,440 दूरबीन वह मूल संयंत्र है 119 00:10:35,480 --> 00:10:39,600 जिससे हम ब्रह्माण्ड के रहस्यों से पर्दा उठाते हैं. 120 00:10:40,400 --> 00:10:44,800 दूरबीन का प्रकाश ग्राही क्षेत्र आँख की तुलना में बहुत अधिक होता है 121 00:10:44,840 --> 00:10:49,480 इसलिए उससे हम बहुत धुंधले तारे देख पाते हैं और अंतरिक्ष में गहरी पैठ बना लेते हैं 122 00:10:51,480 --> 00:10:55,920 एक आतशी शीशे की तरह सूक्ष्म रचना भी दूरबीन दिखाती है. 123 00:10:57,680 --> 00:11:01,720 और जब उनपर सुग्राही कैमरे तथा वर्णक्रममापी लगे हों तो 124 00:11:01,760 --> 00:11:07,000 हमें उनसे ग्रहों, तारों और मंदाकिनियों के बारे में अपर सूचना मिलती है. 125 00:11:14,360 --> 00:11:18,120 'ईएसओ' की ला सिल्ला पर स्थापित दूरबीनें मिली जुली थीं. 126 00:11:18,160 --> 00:11:21,160 छोटी दूरबीनों से लेकर 127 00:11:21,200 --> 00:11:24,040 बड़े एस्ट्रोग्राफ और चौड़े दृष्य्फ्ल वाले कैमरे इनमें समाविष्ट थे. 128 00:11:34,200 --> 00:11:38,360 वहाँ की 2.2 मीटर व्यास वाली जो दूरबीन अब 30 वर्ष पुरानी हो चली है 129 00:11:38,400 --> 00:11:41,880 अब भी हमारे लिए ब्रह्माण्ड के अत्यंत रोचक दृश्य प्रस्तुत कर रही है. 130 00:12:22,720 --> 00:12:25,160 सेरो ला सिल्ला की सर्वोच्च चोटी पर स्थित 131 00:12:25,160 --> 00:12:30,800 'ईएसओ' की शुरुवाती 35 साल पुरानी 3.6 मीटर व्यास की दूरबीन 132 00:12:31,160 --> 00:12:35,480 को अब ग्रह खोजी दूरबीन के रूप में जीवनदान मिला है. 133 00:12:37,000 --> 00:12:42,640 इसके अलावा स्वीडन के खगोलशास्त्रियों ने 15 मीटर व्यास की एक चमकीली 'डिश' लगाई है 134 00:12:42,680 --> 00:12:46,120 ब्रह्माण्ड के ठन्डे बादलों से आने वाले माइक्रोवेव विकिरण के अध्ययन के लिए. 135 00:12:47,280 --> 00:12:52,600 इन दूरबीनों के मिले जुले प्रयास से ही हम अपने ब्रह्माण्ड के अवगुंठन खोल पाए हैं. 136 00:13:06,840 --> 00:13:10,840 हमारी पृथ्वी मात्र एक ग्रह है सौरमंडल के आठ ग्रहों में से. 137 00:13:16,160 --> 00:13:19,200 छोटे से बुध से लेकर दैत्याकार बृहस्पति तक, 138 00:13:19,240 --> 00:13:24,960 ये चट्टानों के गोले और गैस के गुब्बारे सौर मंडल के जन्म के अवशेष हैं. 139 00:13:30,360 --> 00:13:35,360 सूर्य स्वयं आकाशगंगा मंदाकिनी का एक अधेड़ तारा है 140 00:13:36,800 --> 00:13:42,080 अपने जैसे खरबों अन्य तारों के बीच खोया मानो एक प्रकाशबिंदु - 141 00:13:42,160 --> 00:13:46,640 वहाँ साथ में हैं विशाल लाल दानव तारे, अन्तःस्फोट हुए श्वेत वामन तारे, 142 00:13:46,800 --> 00:13:49,720 और तेज़ी से घूमते न्यूट्रॉन तारे. 143 00:13:50,920 --> 00:13:55,840 आकाशगंगा की सर्पिलाकार भुजाओं में चमचमाती नीहारिकाएँ छिटकी पड़ी हैं. 144 00:13:56,000 --> 00:13:59,040 जिनमें नवजात तारों के गुच्छ विद्यमान हैं, 145 00:13:59,240 --> 00:14:03,640 जबकि तारों के वृद्ध अंगूरी गुच्छे मंदाकिनी के बाहरी क्षेत्र में धीरे-धीरे तिरते हैं. 146 00:14:08,560 --> 00:14:13,400 और आकाशगंगा ब्रह्माण्ड की अनगिनत मंदाकिनियों में से मात्र एक है 147 00:14:13,400 --> 00:14:18,920 और लगभग 14 अरब वर्ष पहले अपने जन्म के समय से ब्रह्मांड का निरंतर प्रसार हो रहा है. 148 00:14:26,440 --> 00:14:31,560 पिछले पचास वर्षों में 'ईएसओ' ने ब्रह्मांड में हमारे स्थान की पहचान करने में बड़ी मदद की है. 149 00:14:31,760 --> 00:14:36,000 ऊपर ब्रह्मांड पर दृष्टि डालकर हमने स्वयं अपनी उत्पत्ति के रहस्य पर पर्दा उठाया है. 150 00:14:36,240 --> 00:14:41,999 हम विराट ब्रह्मांड की महाकथा का एक छोटा सा हिस्सा हैं. बिना तारों के हमारा कोई अस्तित्व न होता. 151 00:14:45,320 --> 00:14:50,320 ब्रह्मांड के आरम्भ में मात्र दो तत्व थे - हाइड्रोजन और हीलियम - सबसे हलके तत्व. 152 00:14:50,400 --> 00:14:55,720 पर तारों के अंदर की नाभिकीय भट्टी में हलके तत्व भारी नाभिकों में परिववर्तित होते रहते हैं. 153 00:14:58,040 --> 00:15:01,560 और 1987अ जैसे सुपरनोवा 154 00:15:01,600 --> 00:15:05,680 अपने विस्फोट द्वारा ब्रह्माण्ड में इन भरी तत्वों को बिखेरते रहते हैं. 155 00:15:08,440 --> 00:15:13,240 आज से 4.6 अरब वर्ष पहले जब सौरमण्डल का जन्म हुआ था 156 00:15:13,440 --> 00:15:16,960 तब ये भारी तत्व क्षीण मात्र में उपस्थित थे. 157 00:15:17,080 --> 00:15:21,400 धातुएं, सिलिकेट, कार्बन और ऑक्सीजन भी थे. 158 00:15:22,600 --> 00:15:27,600 हमारी मांस पेशियों का कार्बन, रक्त का लोहा और हड्डियों का कैल्शियम, 159 00:15:27,600 --> 00:15:31,240 इनका सृजन किन्हीं पहले के तारों में हुआ था. 160 00:15:31,280 --> 00:15:34,000 हमारा निमार्ण वस्तुतः ऊपर आकाश में हुआ. 161 00:15:35,440 --> 00:15:38,800 पर उत्तर हमेशा नए प्रश्नों को जन्म देते हैं. 162 00:15:39,080 --> 00:15:42,640 हम जितना अधिक जान पाते हैं रहस्य उतने ही गहरा जाते हैं. 163 00:15:45,040 --> 00:15:48,560 मंदाकिनियों का उद्भव कैसे हुआ और क्या है उनकी अंतिम परिणति? 164 00:15:52,560 --> 00:15:57,560 क्या बाहर दूसरे सौरमण्डल भी हैं, और क्या वहाँ जीवन हो सकता है? 165 00:16:05,080 --> 00:16:10,480 बताइए तो हमारी आकाशगंगा के काले केन्द्रीय भाग में क्या छुपा है? 166 00:16:21,240 --> 00:16:25,000 जाहिर है खगोलशात्रियों को शक्तिशाली दूरबीनों के आवश्यकता थी. 167 00:16:25,000 --> 00:16:28,720 और 'ईएसओ' ने उन्हें नए क्रांतिकारी औज़ार दिए. 168 00:16:39,880 --> 00:16:44,440 पैनी नज़र. 169 00:16:45,800 --> 00:16:49,360 जितनी बड़ी - उतनी बेहतर - कम से कम दूरबीन के दर्पण के बारे में यह कहा जा सकता है. 170 00:16:49,360 --> 00:16:54,440 पर बड़े दर्पण मोटे भी होने चाहिए अन्यथा वे अपने ही वज़न से विकृत हो जायेंगे. 171 00:16:55,120 --> 00:16:59,400 पर बहुत बड़े दर्पण विकृत हो ही जाते हैं चाहे हम उन्हें कितना ही मोटा और भारी क्यों न बना लें. 172 00:17:00,480 --> 00:17:07,160 समाधान? पतले हलके दर्पण और एक्टिव ऑप्टिक्स की जादुई तकनीक. 173 00:17:08,120 --> 00:17:11,360 'ईएसओ' ने 1980 के दशक में इस तकनीक को प्रशस्त किया, 174 00:17:11,440 --> 00:17:13,840 इससे अपनी 'न्यू टेक्नोलोजी टेलेस्कोप' को सुसज्जित किया. 175 00:17:15,240 --> 00:17:17,480 ये थी अद्यतन तकनीक. 176 00:17:17,480 --> 00:17:23,560 'वेरी लार्ज टेलेस्कोप' या 'वीएलटी' के बड़े दर्पणों का व्यास 8.2 मीटर है ... 177 00:17:23,560 --> 00:17:26,280 पर उनकी मोटाई मात्र 20 सेमी० है. 178 00:17:27,120 --> 00:17:28,120 यह जादू संभव हुआ है 179 00:17:28,760 --> 00:17:31,120 कम्पयूटर नियंत्रित सहारों या टेकों के द्वारा जो ये 180 00:17:31,120 --> 00:17:36,880 सुनिश्चित करते हैं कि दर्पण नैनोमीटर की परिशुद्धता से अपना सही आकार बनाये रखे. 181 00:17:53,200 --> 00:17:56,960 'वीएलटी' 'ईएसओ' की प्रमुख सेवा है. 182 00:17:57,120 --> 00:18:03,600 इसमें चार एक जैसी दूरबीने एकजुट होकर उत्तरी चिली के सेर्रो पारनाल शिखर पर कार्य करती हैं. 183 00:18:03,640 --> 00:18:05,840 1990 के दशक में निर्मित, 184 00:18:05,840 --> 00:18:10,520 ये खगोलशास्त्रियों को अत्याधुनिक टेक्नोलोजी प्रदान करती हैं. 185 00:18:15,240 --> 00:18:20,720 आटाकामा के मरुस्थल बीच 'ईएसओ' ने मानों खगोलशास्त्रियों के लिए स्वर्ग का निर्माण कर दिया हो. 186 00:18:36,040 --> 00:18:38,360 वैज्ञानिक 'ला रेसिदेंसिया' नामक भवन में रहते हैं 187 00:18:38,360 --> 00:18:41,760 - एक अतिथि गृह जो - हमारे ग्रह के सबसे सूखे स्थान पर 188 00:18:41,800 --> 00:18:44,160 - आंशिक रूप से धूल-मिट्टी के नीचे दबा है 189 00:18:44,640 --> 00:18:50,720 पर यहाँ अंदर छिपे हैं ताड़ के हरे वृक्ष, तरण-ताल, ... और चिली की स्वादिष्ट मिठाइयां 190 00:18:53,640 --> 00:18:54,520 पर 191 00:18:54,560 --> 00:18:58,800 'वीएलटी' की प्रमुख विशिष्टता इसका तरण-ताल नहीं है, 192 00:18:59,000 --> 00:19:02,560 वो है इसके द्वारा संभव हुआ ब्रह्मांड का अद्वितीय परिदृश्य. 193 00:19:07,400 --> 00:19:11,480 बिना पतले दर्पणों और एक्टिव ऑप्टिक्स के 'वीएलटी' संभव न थी. 194 00:19:12,000 --> 00:19:13,080 पर इसकी और भी विशिष्टतायें हैं. 195 00:19:13,080 --> 00:19:18,320 किसी भी दूरबीन से, चाहे वो सबसे बड़ी क्यों न हो तारे धुंधले दिखाई देते हैं. 196 00:19:18,320 --> 00:19:22,360 कारण? हमारा वायुमंडल बिम्ब को विकृत कर देता है. 197 00:19:26,920 --> 00:19:31,200 यहाँ प्रवेश लेता है हमारा दूसरा जादू - एडैप्टिव ऑप्टिक्स. 198 00:19:32,880 --> 00:19:39,200 पारनाल वेधशाला से लेज़र प्रकाश किरणें ऊपर आकाश पर जाकर कृत्रिम तारों का निर्माण करती हैं. 199 00:19:39,200 --> 00:19:43,720 नीचे पृथ्वी पर लगे संसूचक इन तारों की मदद से ये ज्ञात कर लेते हैं कि वातावरण कितनी विकृति पैदा कर रहा है. 200 00:19:43,840 --> 00:19:46,080 यह मापन एक सेकिंड में सैकड़ों बार किया जाता है. 201 00:19:46,160 --> 00:19:50,200 और हर बार कम्पयूटर विकृतिशील दर्पणों को नियंत्रित कर बिम्ब में सुधार करता है. 202 00:19:52,240 --> 00:19:57,480 और परिणाम? ऐसा लगता है मानों वायुमंडल की हलचल पूरी तरह समाप्त हो गयी हो. 203 00:19:57,840 --> 00:19:59,200 आप स्वयं इस अन्तर को देखिये. 204 00:20:06,240 --> 00:20:09,680 आकाशगंगा एक विशाल सर्पिलाकार मन्दाकिनी है. 205 00:20:09,680 --> 00:20:14,440 और 27,000 प्रकाशवर्ष दूर इसके केन्द्रीय भाग के 206 00:20:14,440 --> 00:20:19,400 रहस्य को 'ईएसओ' की 'वीएलटी' ने सुलझाया. 207 00:20:21,640 --> 00:20:25,560 विशालकाय धूल के बादलों के कारण यह भाग अदृश्य रहता है. 208 00:20:25,640 --> 00:20:29,520 पर सुग्राही अवरक्त प्रकाश कैमरे उस धूल को भेदकर 209 00:20:29,600 --> 00:20:31,880 उस पार क्या है उसे देख सकते हैं. 210 00:20:37,640 --> 00:20:43,080 एडैप्टिव ऑप्टिक्स के सहारे वहां दर्जनों लाल दानव तारे खोजे गए हैं. 211 00:20:43,640 --> 00:20:47,520 और समय के बीतने के साथ ये भी पाया गया कि ये तारे गतिमान हैं. 212 00:20:47,640 --> 00:20:52,320 वे आकाशगंगा के केन्द्र में स्थित किसी अदृश्य पिंड की परिक्रमा कर रहे हैं. 213 00:20:53,760 --> 00:20:59,440 केन्द्र के परिक्रमारत तारों की गतियाँ संकेत देती हैं कि वह पिंड बहुत भारी होगा. 214 00:21:00,200 --> 00:21:06,800 एक दैत्याकार श्याम विवर या 'ब्लैक होल' - संहति सूर्य की 43 लाख गुना. 215 00:21:07,520 --> 00:21:11,600 खगोलशास्त्रियों ने वहां श्याम विवर में गिरते गैस के बादलों में 216 00:21:11,600 --> 00:21:13,640 शक्तिशाली कौंध का प्रेक्षण किया है 217 00:21:13,800 --> 00:21:18,160 यह सब संभव हुआ है एडैप्टिव ऑप्टिक्स कि शक्ति से. 218 00:21:20,120 --> 00:21:25,160 तो पतले दर्पण और एक्टिव ऑप्टिक्स ने बड़ी दूरबीनों का निर्माण संभव कर दिया - 219 00:21:25,200 --> 00:21:28,680 एडैप्टिव ऑप्टिक्स ने वातावरण की झिलमिलाहट खत्म की 220 00:21:28,680 --> 00:21:31,200 और इस प्रकार हमें मिले एकदम प्रखर एवं सुस्पष्ट चित्र. 221 00:21:32,000 --> 00:21:34,640 पर अभी हमारा जादू का पिटारा खाली नहीं हुआ है. 222 00:21:34,680 --> 00:21:38,240 एक और तीसरा जादू है व्यतिकरणमापन या 'इंटरफैरोमैट्री'. 223 00:21:40,680 --> 00:21:44,360 'वीएलटी' में चार दूरबीनें हैं. 224 00:21:44,360 --> 00:21:49,960 ये साथ में मिलकर 130 मीटर आभासी व्यास की बड़ी दूरबीन बन जाती हैं. 225 00:21:52,520 --> 00:21:57,560 प्रत्येक दूरबीन का प्रकाश निर्वात की हुयी सुरंग से 226 00:21:57,560 --> 00:22:00,800 धरती के नीचे प्रयोगशाला में लाया जाता है 227 00:22:03,000 --> 00:22:09,000 यहाँ प्रकाश तरंगों को लेज़र मापन एवं विशेष 'डिले लाइन' की तकनीक से जोड़ा जाता है. 228 00:22:13,960 --> 00:22:19,240 इस प्रकार 8.2 मीटर व्यास की चार दूरबीनों की प्रकाशग्राही क्षमता जुड़कर 229 00:22:19,280 --> 00:22:25,440 एक पचास टेनिस कोर्ट के तुल्य काल्पनिक दूरबीन सी हो जाती है. 230 00:22:28,040 --> 00:22:32,080 साथ की चार अन्य छोटी सहायक दूरबीनें इस समायोजन को और भी लचीला बना देती हैं. 231 00:22:32,120 --> 00:22:35,840 यूँ तो चार विशाल दूरबीनों के समक्ष ये बौनी नजर आती हैं 232 00:22:35,960 --> 00:22:40,400 प्रत्येक में मात्र 1.8 मीटर व्यास का दर्पण लगा है. 233 00:22:40,800 --> 00:22:45,360 फिर भी ये सौ साल पहले की सबसे बड़ी दूरबीन से भी बड़ा है! 234 00:22:47,040 --> 00:22:50,360 व्यतिकरणमापन या ऑप्टिकल इंटरफैरोमैट्री एक जादू जैसा है. 235 00:22:50,640 --> 00:22:54,400 तारों के प्रकाश का जादू जो यहाँ मरुस्थल में मुखर हो रहा है. 236 00:22:54,960 --> 00:22:58,160 परिणाम बहुत ही कारगर साबित हुए हैं. 237 00:22:59,920 --> 00:23:05,120 'वैरी लार्ज टेलेस्कोप' का व्यतिकरणमापी हबल अंतरिक्ष दूरबीन से 238 00:23:05,160 --> 00:23:07,160 पचास गुना अधिक सुस्पष्टता देता है. 239 00:23:09,640 --> 00:23:14,440 उदाहरण के लिए इस युगल तारे में इस भक्षी को देखिये. 240 00:23:15,960 --> 00:23:19,320 ये अपने साथी तारे से पदार्थ चुराकर उसका भक्षण कर रहा है. 241 00:23:23,480 --> 00:23:28,240 बीटलजूस या काक्षी तारे से यदा कदा धुंए और धूल के छल्ले निकलते देखे गए हैं. 242 00:23:28,240 --> 00:23:32,200 ये एक दैत्य तारा है जिसका कभी भी सुपरनोवा के रूप में विस्फोट हो सकता है. 243 00:23:34,560 --> 00:23:40,360 और, नवजात तारों के गिर्द खगोलशास्त्रियों को धूल भरी चकतियाँ... 244 00:23:40,480 --> 00:23:44,280 जो भविष्य के पृथ्वी जैसे संसारों का उपादान या कच्चा माल है. 245 00:23:44,760 --> 00:23:50,400 'वैरी लार्ज टेलेस्कोप' मानव अंतरिक्ष में गड़ी सबसे पैनी आँख है. 246 00:23:51,200 --> 00:23:54,880 पर खगोलशास्त्रियों के पास ऐसी दूसरी विधाएं भी हैं जिनसे वे अपने आयाम को बढ़ा लेते हैं... 247 00:23:54,880 --> 00:23:57,320 और विचारों को भी. 248 00:23:57,320 --> 00:23:59,999 यूरोपीयन सदर्न आब्जर्वेटरी में 249 00:24:00,000 --> 00:24:05,400 उन्होंने ब्रह्मांड को एक एकदम नए नजरिये से देखना सीखा है. 250 00:24:11,920 --> 00:24:18,720 बदलता परिदृश्य. 251 00:24:24,400 --> 00:24:25,720 संगीत मधुर है न? 252 00:24:26,880 --> 00:24:29,640 पर सोचिये यदि आपको किसी प्रकार की श्रवण बाधा होती? 253 00:24:29,640 --> 00:24:32,720 यदि आपमें लघु आवृत्ति को सुन पाने की क्षमता न होती. 254 00:24:34,080 --> 00:24:35,880 या फिर आप ऊंची आवृत्तियों को न सुन पाते हों. 255 00:24:37,640 --> 00:24:40,320 ऐसा ही कुछ खगोलशास्त्रियों के साथ भी होता था. 256 00:24:41,080 --> 00:24:46,400 मनुष्य की आँख ब्रह्माण्ड से मिल रहे विकिरण के केवल एक छोटे से हिस्से के लिए संवेदी होती है. 257 00:24:46,400 --> 00:24:50,400 हम बैंगनी प्रकाश से छोटी तरंगों 258 00:24:50,400 --> 00:24:52,480 या लाल प्रकाश से लंबी तरंगों को नहीं देख सकते. 259 00:24:53,160 --> 00:24:56,320 इस तरह हम ब्रह्मांड की महान संगीत रचना का पूरी तरह आनन्द नहीं उठा पाते. 260 00:24:58,160 --> 00:25:03,880 अवरक्त प्रकाश, इन्फ्रारेड रेडिएशन या गर्मी के विकिरण के खोज प्रथम वर्ष 1800 में विलियम हर्शल द्वारा हुयी थी. 261 00:25:07,480 --> 00:25:10,560 एक अँधेरे बंद कमरे में आप मुझे नहीं देख सकते. 262 00:25:11,720 --> 00:25:15,960 पर यदि आप इन्फ्रारेड गॉगल्स पहन लें आप मेरे शरीर के गर्म हिस्से देख पायेंगे. 263 00:25:18,760 --> 00:25:25,160 ठीक इसी प्रकार अवरक्त प्रकाश दूरबीनें उन ब्रह्मांडीय पिंडों को उजागर करती हैं जो इतने ठंडे होते हैं कि उनसे दृश्य प्रकाश का उत्सर्जन नहीं होता, 264 00:25:25,160 --> 00:25:29,800 जैसे वे गैस-धूल के बने काले जिनमें तारों और ग्रहों का सृजन होता है. 265 00:25:38,880 --> 00:25:39,880 कई दशकों से, 266 00:25:39,920 --> 00:25:42,640 'ईएसओ' के खगोलशास्त्री इस ब्रह्माण्ड को इन्फ्रारेड प्रकाश में 267 00:25:42,640 --> 00:25:44,560 खंगालने की चाहत रखते थे. 268 00:25:45,120 --> 00:25:48,240 पर आरंभिक इन्फ्रारेड प्रकाश संसूचक बहुत छोटे थे और प्रभावशाली न थे. 269 00:25:48,600 --> 00:25:52,000 उनसे हमें इन्फ्रारेड आकाश का एक धुंधला स्वरुप दिखाई दिया. 270 00:25:54,160 --> 00:25:58,120 आधुनिक इन्फ्रारेड कैमरे आकार में बड़े तथा शक्तिशाली हैं. 271 00:25:58,720 --> 00:26:02,800 उनकी सुग्राहिता को बधाने के लिए उन्हें बहुत ठंडा किया जाता है. 272 00:26:04,400 --> 00:26:09,240 और 'ईएसओ' की वैरी लार्ज टेलीस्कोप की बनावट इनका भरपूर उपयोग करती है. 273 00:26:14,080 --> 00:26:20,960 सच तो ये है कि हमारे कुछ जादुई तकनीकें, जैसे इंटरफैरोमैट्री, केवल इन्फ्रारेड में ही काम करती हैं. 274 00:26:23,120 --> 00:26:27,560 हमने अपने आयाम का विस्तार किया है - इससे ब्रह्मांड का नया पक्ष उजागर हो रहा है. 275 00:26:31,040 --> 00:26:37,440 यह काला धब्बा ब्रह्मांडीय धूल से बना है. इसने अपने पीछे के तारों को छिपा रखा है. 276 00:26:37,480 --> 00:26:41,960 पर इन्फ्रारेड का उपयोग कर हम इस धूल को भेदकर देख सकते हैं. 277 00:26:43,840 --> 00:26:47,600 ये है ओरायन नेबुला या मृग नीहारिका - तारों की एक पौधशाला. 278 00:26:47,640 --> 00:26:52,480 अधिकांश नवजात तारे धूल के बादलों में छिपे रहते हैं. 279 00:26:52,480 --> 00:26:58,160 एक बार फिर इन्फ्रारेड हमें राहत देती है - त्तारों के जन्म की प्रक्रिया दिखा कर. 280 00:27:09,080 --> 00:27:13,160 मृत्युगामी तारे गैस के बुलबुलों की उच्छ्वास उत्सर्जित करते मिलते हैं. 281 00:27:13,160 --> 00:27:16,880 दृश्य प्रकाश में ये देखते ही बनते हैं. 282 00:27:16,880 --> 00:27:21,000 पर इन्फ्रारेड में ली गयी छवि और अधिक ब्यौरा देती है. 283 00:27:23,280 --> 00:27:25,600 इन्फ्रारेड तकनीक द्वारा लिए गए तारों और गैस के बादलों के दृश्यों को न भूल जायिएगा 284 00:27:25,600 --> 00:27:30,680 जिनका भक्षण आकाशगंगा के केन्द्र का भस्मासुर श्याम विवर या ब्लैक होल कर रहा है. 285 00:27:30,720 --> 00:27:34,400 इन्फ्रारेड कैमरे के बिना हम इन दृश्यों से वंचित रह जाते. 286 00:27:36,360 --> 00:27:37,720 इन्फ्रारेड तकनीक से हमने दूसरी मंदाकिनियों का अध्ययन कर 287 00:27:37,720 --> 00:27:42,880 उनमें अपने सूर्य जैसे तारों का वितरण खोजा है. 288 00:27:45,920 --> 00:27:49,920 सुदूर स्थित मंदाकिनियों का अध्ययन केवल इन्फ्रारेड प्रकाश से ही संभव है. 289 00:27:49,920 --> 00:27:52,640 क्योंकि ब्रह्माण्ड के निरंतर प्रसार के कारण 290 00:27:52,640 --> 00:27:54,880 उनका सामान्य दृश्य प्रकाश इन्फ्रारेड क्षेत्र में खिसक आया है. 291 00:27:57,200 --> 00:28:01,640 पारनाल के समीप के एक पर्वत शिखर पर एक इकलौती इमारत है. 292 00:28:02,160 --> 00:28:05,880 इसके अंदर 4.1 मीटर व्यास की 'विस्टा' दूरबीन लगी है. 293 00:28:06,280 --> 00:28:09,960 इसका निर्माण यूनाइटेड किन्ग्डम में हुआ जो 'ईएसओ' का दसवां सदस्य है. 294 00:28:17,120 --> 00:28:20,640 अभी विस्टा दूरबीन इन्फ्रारेड में ही कार्य करती है. 295 00:28:20,640 --> 00:28:25,400 यहाँ एक विशाल कैमरा लगा हुआ है जिसका वज़न एक ट्रक जितना होगा. 296 00:28:25,400 --> 00:28:31,960 सच में, विस्टा दूरबीन ने इन्फ्रारेड में ब्रह्माण्ड की खोज के नए द्वार खोल दिए हैं. 297 00:28:33,320 --> 00:28:37,080 पचास साल पहले अपने जन्म के समय से 'ईएसओ' में दृश्य प्रकाश में खगोलशास्त्र पर काम चल रहा है. 298 00:28:40,080 --> 00:28:43,240 और इन्फ्रारेड में विगत लगभग तीस वर्ष से. 299 00:28:48,480 --> 00:28:51,480 पर ब्रह्माण्ड का नाद पूरी तरह सुनने के लिए ये काफी नहीं. 300 00:28:53,160 --> 00:28:57,640 चिली की एंडीज़ पर्वतमाला में समुद्र तल से पांच हज़ार मीटर ऊपर है 301 00:28:57,640 --> 00:28:59,800 चायनन्तोर का पठार. 302 00:29:01,040 --> 00:29:04,160 खगोलशास्त्र इससे अधिक ऊंचाई पर कहीं नहीं किया जाता. 303 00:29:07,320 --> 00:29:10,160 चायनन्तोर है घर 'एल्मा' का. 304 00:29:11,200 --> 00:29:14,640 एल्मा' यानि एटाकामा लार्ज मिलीमीटर/सबमिलीमीटर एरे. 305 00:29:15,720 --> 00:29:17,560 'एल्मा' अभी निर्माणाधीन है. 306 00:29:17,600 --> 00:29:21,400 यहाँ की परिस्थितियाँ अत्यंत प्रतिकूल हैं - साँस लेना भी दूभर होता है. 307 00:29:24,360 --> 00:29:27,560 अभी यहाँ 66 में से केवल दस एंटेना ही लग पाये हैं, 308 00:29:27,560 --> 00:29:32,080 पर 'एल्मा' ने 2011 की शरद में अपना पहला प्रेक्षण लिया. 309 00:29:36,200 --> 00:29:42,600 अंतरिक्ष से आती मिलीमीटर तरंगें. इनका प्रेक्षण स्थल ऊंचा और शुष्क होना चाहिए. 310 00:29:42,640 --> 00:29:47,240 चायनन्तोर इस मामले में दुनिया के सर्वोत्कृष्ट स्थानों में से एक है. 311 00:29:51,840 --> 00:29:57,440 इन दो मंदाकिनियों की टकराहट से उत्पन्न ये ठंडी गैस एवं काली धूल दिखाई दे रही है. 312 00:29:58,040 --> 00:30:02,880 ये तारों के जन्म नहीं बल्कि उनके संषेचन की स्थली है. 313 00:30:05,880 --> 00:30:09,560 और इस मृत्युप्राप्त तारे से निकलता सर्पिलाकार प्रवाह - 314 00:30:09,560 --> 00:30:12,640 कहीं ये किसी परिक्रमारत तारे के कारण तो नहीं हो रहा? 315 00:30:17,040 --> 00:30:18,880 ब्रह्माण्ड को देखने की नयी तकनीकें विकसित कर 316 00:30:18,880 --> 00:30:23,080 हम ग्रहों, तारों और मंदाकिनियों के उद्भव के रहस्य के और भी निकट आ गए हैं. 317 00:30:23,560 --> 00:30:26,880 - ब्रह्माण्ड के नाद को पूरी तरह सुनने का प्रयास. 318 00:30:37,999 --> 00:30:42,640 अपनी पहुँच को बढ़ाना. 319 00:30:44,640 --> 00:30:47,720 स्तेफान गिसर्द को तारों से प्यार है. 320 00:30:48,800 --> 00:30:51,240 ताज्जुब नहीं कि उन्हें उत्तरी चिली से भी उतना ही प्यार है. 321 00:30:52,280 --> 00:30:56,560 यहाँ से हमें दुनियां में ब्रह्मांड का सबसे सुंदर दृश्य जो मिलता है. 322 00:30:58,080 --> 00:31:01,280 तो ये भी ताज्जुब की बात नहीं कि उन्हें यूरोपीयन सदर्न आब्जर्वेटरी से भी उतना ही लगाव है. 323 00:31:01,320 --> 00:31:03,640 - जो यूरोप की आकाश पर सधी आँख है. 324 00:31:04,760 --> 00:31:08,320 स्तेफान एक प्रतिष्ठित फ्रांसीसी फोटोग्राफर व लेखक हैं. 325 00:31:10,240 --> 00:31:14,080 वे 'ईएसओ' के अग्रदूत फोटोग्राफर हैं. 326 00:31:18,760 --> 00:31:23,880 उन्होंने अपने मोहक चित्रों में बखूबी आँका है एटाकामा मरुस्थल के सौंदर्य और नीरवता को, 327 00:31:23,880 --> 00:31:26,920 विराट दूरबीनों के उच्च तकनीकी निपुणता को, 328 00:31:26,960 --> 00:31:30,640 और रात्रि आकाश के वैभव को. 329 00:31:38,440 --> 00:31:42,280 अपने जैसे विश्व के अन्य छायाचित्र दूतों की तरह 330 00:31:42,320 --> 00:31:45,640 स्तेफान भी 'ईएसओ' के सन्देश को प्रसारित कर रहे हैं. 331 00:31:47,160 --> 00:31:51,240 जिज्ञासा, आश्चर्य और प्रेरणा का सन्देश, 332 00:31:51,240 --> 00:31:54,720 जिसका उद्घोष सहयोग और बाहर पहुँच द्वारा हो रहा है. 333 00:31:57,800 --> 00:32:01,360 सहयोग 'ईएसओ' की सफलता की आधारशिला रहा है. 334 00:32:01,560 --> 00:32:02,560 पचास साल पहले, 335 00:32:02,720 --> 00:32:04,240 यूरोपीयन सदर्न आब्जर्वेटरी 336 00:32:04,280 --> 00:32:07,160 का आरम्भ मात्र पांच संस्थापक सदस्यों से हुआ: 337 00:32:07,160 --> 00:32:11,240 बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, नेदरलैन्ड्स तथा स्वीडन. 338 00:32:11,640 --> 00:32:14,080 शीघ्र ही दूसरे यूरोपीय देश आ जुड़े. 339 00:32:14,400 --> 00:32:20,560 डेनमार्क 1967 में, इटली और स्विट्जर्लैण्ड 1982 में और पुर्तगाल 2001 में. 340 00:32:20,560 --> 00:32:22,720 फिर यूनाइटेड किन्ग्डम 2002 में. 341 00:32:23,600 --> 00:32:28,080 पिछले दशक में, फिनलैंड, स्पेन, चैक गणराज्य और ऑस्ट्रिया 342 00:32:28,080 --> 00:32:31,480 भी यूरोप के सबसे बड़े खगोलशास्त्रीय संस्थान से आ जुड़े. 343 00:32:32,480 --> 00:32:36,200 अभी हाल में ब्राजील 'ईएसओ' का पन्द्रहवां सदस्य 344 00:32:36,240 --> 00:32:39,080 और यूरोप के बाहर का पहला राष्ट्र बना. 345 00:32:39,480 --> 00:32:41,320 भविष्य में न जाने और क्या होगा. 346 00:32:42,280 --> 00:32:47,120 सभी सदस्य देश विश्व की सबसे बड़ी वेधशालाओं में 347 00:32:47,160 --> 00:32:49,640 खगोलशास्त्र के उच्च अध्ययन के लिए एकजुट है. 348 00:32:55,040 --> 00:32:57,200 ये उनके देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी हितकर है. 349 00:32:58,040 --> 00:33:02,640 'ईएसओ' यूरोप और चिली में उद्योग के साथ घुल-मिलकर सहयोग करती है. 350 00:33:13,440 --> 00:33:15,840 आवागमन के लिए सड़कों का निर्माण होना था. 351 00:33:16,760 --> 00:33:18,640 पर्वत शिखरों को सपाट करना था. 352 00:33:20,160 --> 00:33:23,200 इटली के उद्योग संघ 'एईएस' ने 353 00:33:23,240 --> 00:33:27,440 'वीएलटी' की चार दूरबीनों के मुख्य ढांचे तैयार किये. 354 00:33:27,999 --> 00:33:32,560 प्रत्येक दूरबीन का भार लगभग 430 टन है. 355 00:33:34,240 --> 00:33:40,080 उन्होंने दूरबीन के भवन भी बनाये जो दस मंजिला इमारत जितने ऊंचे हैं. 356 00:33:42,880 --> 00:33:47,999 एक काँच बनाने वाली जर्मन कम्पनी शॉट ने 'वीएलटी' के नाज़ुक दर्पण बनाये 357 00:33:48,000 --> 00:33:52,240 जो आठ मीटर व्यास और केवल 20 सेंटीमीटर मोटाई के हैं. 358 00:33:53,400 --> 00:33:55,400 फ्रांस के REOSC में, 359 00:33:55,400 --> 00:33:59,960 इन दर्पणों को चमकाने का कार्य हुआ जो मिलीमीटर के दस लाखवें भाग की परिशुद्धता से किया गया 360 00:33:59,960 --> 00:34:03,160 - पूर्व इसके कि उन्हें पारनाल की लंबी यात्रा पर भेजा जाता. 361 00:34:08,200 --> 00:34:12,040 इस बीच यूरोप के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में 362 00:34:12,080 --> 00:34:15,720 सुग्राही कैमरे और वर्णक्रममापी विकसित किये गए. 363 00:34:17,640 --> 00:34:20,400 'ईएसओ' की दूरबीनें करदाताओं के धन बनी हैं. 364 00:34:20,400 --> 00:34:21,800 आपके धन से. 365 00:34:21,880 --> 00:34:24,880 इसलिए आप भी इस उत्साह में सम्मिलित हो सकते हैं. 366 00:34:24,920 --> 00:34:30,080 उदाहरण के लिए, 'ईएसओ' की वेबसाइट प्रचुर खगोलीय सूचना का भंडार है. 367 00:34:30,120 --> 00:34:33,560 जिसमें हजारों सुंदर चित्र और विडियो हैं. 368 00:34:35,800 --> 00:34:39,600 इसके अलावा 'ईएसओ' पत्रिकाएं प्रकाशित करती है, प्रेस विज्ञप्तियां जारी करती है, 369 00:34:39,640 --> 00:34:44,240 और विडियो डाक्युमेंटरी बनाती है जैसी एक आप ठीक इस समय देख रहे हैं. 370 00:34:46,480 --> 00:34:48,080 और पूरे विश्व में 371 00:34:48,080 --> 00:34:53,880 'ईएसओ' विज्ञान मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेती है, 372 00:34:58,960 --> 00:35:03,560 ब्रह्माण्ड की खोज में भागीदारी के अनगिनत तरीके हैं. 373 00:35:05,640 --> 00:35:08,960 क्या आप जानते हैं कि 'वीएलटी' की चार दूरबीनों के नाम 374 00:35:08,960 --> 00:35:11,560 चिली की एक बालिका ने सुझाये थे? 375 00:35:12,240 --> 00:35:14,880 17 वर्षीया जोर्सी एल्बनेज़ कास्टिला ने 376 00:35:14,880 --> 00:35:19,840 ये चार नाम दिए थे, अंतु, कुइयन, मेलीपाल और येपुन 377 00:35:19,880 --> 00:35:26,320 जो मापुचे भाषा में सूर्य, चन्द्र, सदर्न क्रॉस और शुक्र के नाम हैं. 378 00:35:27,200 --> 00:35:31,320 जोर्सी जैसे स्कूली बच्चों और छात्रों की सहभागिता बहुत महत्वपूर्ण है. 379 00:35:32,880 --> 00:35:36,160 'ईएसओ' अनेक शैक्षणिक कार्यक्रमों में सन्नद्ध है. 380 00:35:36,520 --> 00:35:39,800 जैसे, स्कूली अभ्यास एवं व्याख्यान. 381 00:35:41,960 --> 00:35:46,120 जब 2004 में शुक्र सूर्य के सामने से गुज़रा था, 382 00:35:46,160 --> 00:35:50,560 तब यूरोपीय छात्रों और अध्यपकों के लिए एक विशेष कार्यक्रम बनाया गया. 383 00:35:53,400 --> 00:35:58,000 और 2009 के अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष में 384 00:35:58,040 --> 00:36:02,880 'ईएसओ' विश्व भर में लाखों स्कूली बच्चों और छात्रों तक पहुँची. 385 00:36:02,880 --> 00:36:07,320 आखिर सच ही है कि आज के बच्चे ही तो कल के खगोलशास्त्री हैं. 386 00:36:12,320 --> 00:36:16,960 पर बाहर पहुँच बनाने के इस उपक्रम में ब्रह्मांड का कोई सानी नहीं है. 387 00:36:24,320 --> 00:36:26,800 खगोलशास्त्र एक दृश्य विज्ञान है. 388 00:36:26,800 --> 00:36:33,080 मंदाकिनियों, तारक गुच्छों और तारों की पौधशालाओं को देखकर हमारी कल्पना को पर लग जाते हैं. 389 00:36:37,800 --> 00:36:39,320 जब उनका विज्ञानं के लिए उपयोग न हो रहा हो तब, 390 00:36:39,320 --> 00:36:44,080 कभी कभार 'ईएसओ' की दूरबीनों का उपयोग 'कॉस्मिक जैम्स कार्यक्रम' में होता है 391 00:36:44,080 --> 00:36:49,160 -- केवल शैक्षणिक और जन जागरण के लिए चित्र खींचने में. 392 00:36:57,000 --> 00:37:00,680 कहते हैं कि एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है. 393 00:37:03,880 --> 00:37:08,320 सामान्य जन इन स्तब्धकारी चित्रों के सृजन में भाग ले सकते हैं. 394 00:37:08,320 --> 00:37:11,000 इसके लिए हमारी 'हिडन ट्रेजर' प्रतियोगिताएं हैं. 395 00:37:14,160 --> 00:37:20,560 रूसी शौकिया खगोलशास्त्री इगोर चेकालिन ने वर्ष 2010 की प्रतियोगिता जीती थी. 396 00:37:22,080 --> 00:37:26,080 उनके अद्भुत चित्र वास्तविक वैज्ञानिक आंकड़ों पर आधारित थे. 397 00:37:31,840 --> 00:37:34,840 सदस्य देशों, उद्योग और विश्वविद्यालयों ने 398 00:37:34,840 --> 00:37:37,640 हर स्तर पर सहयोग कर 399 00:37:37,640 --> 00:37:42,640 'ईएसओ' को विश्व की एक सफलतम संस्था बनाया है. 400 00:37:43,040 --> 00:37:48,040 और इसके जन अभियान के तहत आप इस साहसिक उपक्रम से जुड़ सकते हैं. 401 00:37:48,080 --> 00:37:51,160 यह ब्रह्माण्ड आपका आह्वान कर रहा है - कि मुझे खोजो तो जानें. 402 00:37:57,680 --> 00:38:04,480 प्रकाश को लपकना. 403 00:38:09,920 --> 00:38:11,480 आधी सदी से, 404 00:38:11,480 --> 00:38:16,880 यूरोपीयन सदर्न आब्जर्वेटरी ब्रह्मांड के सौंदर्य को उजागर करती रही है. 405 00:38:23,040 --> 00:38:25,440 पृथ्वी पर तारों के प्रकाश की वर्षा होती रहती है. 406 00:38:27,200 --> 00:38:30,400 विशाल दूरबीनें ब्रह्मांड के प्रकाश कण यानि फोटोन का संग्रह कर 407 00:38:30,440 --> 00:38:34,320 उन्हें अद्यतन कैमरों और वर्णक्रममापी उपकरणों को भेजती हैं. 408 00:38:37,160 --> 00:38:41,960 आज की खगोलीय छवियाँ 1960 के चित्रों से पर्याप्त भिन्न हैं. 409 00:38:43,400 --> 00:38:46,520 जब सन् 1962 में 'ईएसओ' की शुरुआत हुयी, 410 00:38:46,520 --> 00:38:50,480 खगोलशास्त्री काँच की बनी बड़ी बड़ी फोटोग्राफिक प्लेट का इस्तेमाल करते थे. 411 00:38:51,480 --> 00:38:56,120 वे कम सुग्राही और अशुद्ध होतीं और उनसे काम लेना भी कठिन होता था. 412 00:39:00,600 --> 00:39:04,280 आज के इलेक्ट्रोनिक संसूचकों ने दुनिया कितनी बदल दी है. 413 00:39:04,960 --> 00:39:07,880 वे लगभग प्रत्येक फोटोन को पकड़ लेते हैं. 414 00:39:08,400 --> 00:39:11,200 छवि भी तत्काल मिल जाती है. 415 00:39:11,240 --> 00:39:13,320 साथ ही महत्वपूर्ण बात ये भी है कि उसका 416 00:39:13,320 --> 00:39:17,320 कम्पूटर द्वारा संसाधन और विश्लेषण किया जा सकता है. 417 00:39:17,920 --> 00:39:21,600 खगोलशास्त्र पूरी तरह डिजिटल हो गया है. 418 00:39:28,600 --> 00:39:31,120 'ईएसओ' की दूरबीनों में दुनिया के सबसे बड़े 419 00:39:31,160 --> 00:39:33,840 और अति संवेदी संसूचक लगे हैं. 420 00:39:33,840 --> 00:39:40,840 अकेले 'विस्टा' कैमरे में 16 संसूचक लगे हैं जो 6 करोड 70 लाख पिक्सेल के बराबर है. 421 00:39:43,080 --> 00:39:48,160 यह विशाल उपकरण इन्फ्रारेड विकिरण को लपक लेता है जो ब्रह्माण्ड के धूल भरे बादलों से 422 00:39:48,200 --> 00:39:49,520 नवजात तारों से 423 00:39:49,520 --> 00:39:52,600 या दूरस्थ मंदाकिनियों से आ रहा हो. 424 00:39:59,880 --> 00:40:05,600 द्रवीभूत हीलियम इन संसूचकों को ऋण 269 के तापमान पर बनाये रखती है. 425 00:40:05,600 --> 00:40:09,320 इसप्रकार 'विस्टा' दक्षिण के आकाश की सूची तैयार करती है 426 00:40:09,320 --> 00:40:13,040 मानो कोई अन्वेषक किसी अनजाने महाद्वीप का नक्शा बना रहा हो. 427 00:40:15,640 --> 00:40:19,080 'वीएलटी' सर्वे दूरबीन एक और खोजी मशीन है 428 00:40:19,120 --> 00:40:22,040 जो दृश्य प्रकाश के क्षेत्र में काम करती है. 429 00:40:27,960 --> 00:40:31,880 इसका कैमरा जिसे 'ओमेगाकैम' कहा जाता है और भी बड़ा है. 430 00:40:32,520 --> 00:40:37,480 इसमें 32 सीसीडी के 26 करोड 80 लाख विलक्षण संख्या वाले पिक्सेल मिलकर 431 00:40:37,480 --> 00:40:42,480 अद्भुत चित्र बनाते हैं. 432 00:40:44,680 --> 00:40:47,999 इसका दृश्य फलक एक वर्ग अंश का है 433 00:40:48,000 --> 00:40:51,360 - यानि पूर्ण चन्द्र का चार गुना. 434 00:40:53,520 --> 00:40:58,040 'ओमेगाकैम' प्रतिरात पचास गीगाबाईट आंकड़े जमा करता है. 435 00:40:59,400 --> 00:41:02,160 ये तो हुए गीगाबाईट के उम्दा आंकड़े. 436 00:41:05,800 --> 00:41:09,200 'विस्टा' और 'वीएसटी' जैसी सर्वेक्षण दूरबीनें 437 00:41:09,200 --> 00:41:12,920 आकाश को खंगालती रहती हैं - दुर्लभ और रोचक पिंडों की तलाश में. 438 00:41:13,360 --> 00:41:17,240 खगोलशास्त्री फिर 'वीएलटी' की अपार क्षमता का उपयोग 439 00:41:17,240 --> 00:41:20,880 इन पिंडों के उत्कृष्ट अध्ययन के लिए करते हैं. 440 00:41:23,320 --> 00:41:25,760 'वीएलटी' की चारों दूरबीनों में से 441 00:41:25,760 --> 00:41:28,200 प्रत्येक का अपना विशिष्ट उपकरण है, 442 00:41:28,200 --> 00:41:31,200 प्रत्येक की अपनी विशेषताएं है. 443 00:41:31,999 --> 00:41:39,200 इन उपकरणों के बिना 'ईएसओ' के अंतरिक्ष पर लगी बड़ी आँख, बस, अंधी है. 444 00:41:40,280 --> 00:41:46,920 इनके बड़े विलक्षण नाम हैं जैसे, आइजेक, फ्लेम्स, हॉकआई और सिनफोनी. 445 00:41:47,800 --> 00:41:52,400 छोटी कार जितना आकार है इनमें से प्रत्येक विशाल अत्युन्नत मशीन का. 446 00:41:54,200 --> 00:41:55,760 इनका उद्देश्य? 447 00:41:55,760 --> 00:42:00,920 ब्रह्माण्ड के फोटॉनों को पकड़कर हर संभव सूचना बाहर निकलना. 448 00:42:03,240 --> 00:42:07,840 सभी उपकरण विलक्षण हें पर कुछ दूसरों से अधिक विशिष्ट. 449 00:42:08,120 --> 00:42:14,360 उदाहरण के लिए, ये नाको और ये सिनफोनी 'वीएलटी' की एडेप्टिव ऑप्टिक्स का उपयोग करते हैं. 450 00:42:17,920 --> 00:42:20,840 लेज़र के द्वारा कृत्रिम तारे बनाये जाते हैं. 451 00:42:20,840 --> 00:42:24,600 जो वायुमंडल के धुंधलापन लाने वाले प्रभाव को निष्क्रिय करने में खगोलविदों की मदद करते हैं. 452 00:42:30,760 --> 00:42:35,360 नाको द्वारा लिए चित्र इतने स्पष्ट होते हैं मानों उन्हें बाह्य अंतरिक्ष से लिया गया हो. 453 00:42:38,080 --> 00:42:43,720 फिर मिडी और एम्बर नामक दो व्यतिकरणमापी हैं. 454 00:42:45,160 --> 00:42:49,720 इनमें दो या दो से अधिक दूरबीनों की प्रकाश तरंगें एक स्थान पर लाई जाती हैं 455 00:42:49,720 --> 00:42:53,120 मानो उन्हें किसी एक विशाल दर्पण द्वारा एकत्र किया गया हो. 456 00:42:55,560 --> 00:42:56,920 परिणाम: 457 00:42:57,320 --> 00:42:59,800 कल्पनातीत प्रखर चित्र. 458 00:43:03,760 --> 00:43:06,720 पर खगोलशास्त्र में केवल चित्र ही लिए जाते हों ऐसा नहीं है. 459 00:43:06,760 --> 00:43:08,480 अगर आप विस्तृत सूचना चाहते हैं, 460 00:43:08,480 --> 00:43:12,400 तो आप तारे के प्रकाश के साथ चीरफाड़ कर उसकी संरचना ज्ञात कर सकते है. 461 00:43:15,360 --> 00:43:19,080 वर्णक्रममिति खगोलशास्त्र का एक सशक्त औज़ार है. 462 00:43:24,800 --> 00:43:29,120 आश्चर्य नहीं कि 'ईएसओ' को अपने दुनिया के सबसे अत्याधुनिक वर्णक्रममापियों पर गर्व है. 463 00:43:29,160 --> 00:43:31,640 जैसे ये शक्तिशाली 'एक्स-शूटर'. 464 00:43:32,240 --> 00:43:37,240 जहाँ चित्र हमें सौंदर्य के दर्शन करते हैं वहीँ वर्णक्रम अधिक जानकारी उजागर करता है. 465 00:43:41,560 --> 00:43:42,840 सर्जन 466 00:43:43,920 --> 00:43:45,160 गति 467 00:43:46,080 --> 00:43:47,360 आयु 468 00:43:53,480 --> 00:43:58,000 दूरवर्ती तारों के गिर्द घूमते बाह्य ग्रहों के वायुमंडल. 469 00:44:01,520 --> 00:44:05,680 या दृश्य ब्रह्मांड के छोर पर स्थित नवजात मंदाकिनियाँ. 470 00:44:09,480 --> 00:44:14,480 बिना वर्णक्रममिति के हम ऐसे अन्वेषक साबित होते जो बस एक विशाल भूदृश्य मात्र ताक रहे होते. 471 00:44:14,920 --> 00:44:16,360 वर्णक्रममिति के द्वारा 472 00:44:16,360 --> 00:44:21,360 हम उस भूदृश्य की स्थलाकृति, भूविज्ञान, विकास एवं संरचना को जान सकते हैं. 473 00:44:31,160 --> 00:44:32,999 एक बात और है. 474 00:44:36,999 --> 00:44:41,880 अपने शांत और स्थिर सौंदर्य के बावजूद ब्रह्माण्ड एक अत्यंत हिंसापूर्ण स्थली है. 475 00:44:43,920 --> 00:44:45,800 रात में कई जगह ऊपर धमाके होते हैं, 476 00:44:45,800 --> 00:44:49,640 और खगोलविद प्रत्येक घटना को लपक लेना चाहते हैं. 477 00:44:53,400 --> 00:44:58,680 भारी तारे अपने जीवन के अंत में सुपरनोवा के रूप में विस्फोटित होते हैं. 478 00:45:04,600 --> 00:45:07,480 कुछ ब्रह्मांडीय धमाके तो इतने प्रचंड होते हैं कि 479 00:45:07,520 --> 00:45:11,040 वो अपनी पितृ मंदाकिनी को कुछ समय के लिए चमक में पीछे छोड़ देते हैं. 480 00:45:11,040 --> 00:45:16,240 अन्तःतारकीय अंतरिक्ष उच्च शक्ति वाली अदृश्य गामा किरणों से ओतप्रोत हो जाता है. 481 00:45:18,200 --> 00:45:24,120 छोटी-छोटी स्वचालित दूरबीनें उपग्रहों द्वारा इसका संकेत मिलते ही सक्रिय हो जाती हैं. 482 00:45:24,600 --> 00:45:30,800 कुछ ही सेकिंडों में वे सही दिशा में समायोजित हो जाती हैं ताकि विस्फोट के परिणाम का अध्ययन कर सकें. 483 00:45:32,120 --> 00:45:35,920 दूसरी स्वचालित दूरबीनें अपना ध्यान कम नाटकीय घटनाओं पर केंद्रित करती हैं. 484 00:45:35,920 --> 00:45:40,000 जैसे दूरवर्ती ग्रहों का अपने मातृ तारे के सामने से गुज़रना. 485 00:45:42,800 --> 00:45:46,400 ब्रह्माण्ड में हरदम हलचल मची रहती है. 486 00:45:46,440 --> 00:45:50,080 'ईएसओ' की चेष्टा यही है कि इस हलचल के एक भी स्पंदन से चूक न जाय. 487 00:45:51,999 --> 00:45:55,999 ब्रह्माण्डिकी ऐसा विज्ञान है जिसमें ब्रह्माण्ड का उसकी पूर्णता में अध्ययन किया जाता है. 488 00:45:56,000 --> 00:46:00,440 इसकी संरचना, विकास और उद्भव. 489 00:46:04,360 --> 00:46:08,960 इसलिए ये महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम अधिक से अधिक प्रकाश का संग्रह कर सकें. 490 00:46:09,320 --> 00:46:14,640 ये मंदाकिनियाँ इतनी दूर हैं कि इनसे केवल गिने चुने फोटॉन ही पृथ्वी तक पँहुचते हैं. 491 00:46:17,080 --> 00:46:20,520 पर ये गिने चुने फोटॉन अपने में ब्रह्माण्ड के अतीत के सुराग संजोये होते हैं. 492 00:46:22,320 --> 00:46:24,760 उन्होंने अरबों वर्षों की यात्रा की होती है. 493 00:46:25,160 --> 00:46:28,840 वे हमें आदि ब्रह्मांड का स्वरूप दिखाते हैं. 494 00:46:29,240 --> 00:46:34,160 इसीलिये सुग्राही उपकरणों से सुसज्जित बड़ी दूरबीनें ज़रूरी हो गयी हैं. 495 00:46:35,320 --> 00:46:37,440 पिछले पचास वर्षों में, 496 00:46:37,440 --> 00:46:41,920 'ईएसओ' की दूरबीनों ने बहुत दूर की मंदाकिनियों और क्वेजार्स के दर्शन कराये 497 00:46:41,920 --> 00:46:43,960 जैसे हमने पहले कभी नहीं किये थे. 498 00:46:47,360 --> 00:46:51,320 यहाँ तक कि उन्होंने हमारी मदद अदृश्य काले पदार्थ के प्रसार को अनावृत करने में की 499 00:46:51,360 --> 00:46:53,920 जिसकी प्रकृति अबतक अनजानी है. 500 00:47:00,560 --> 00:47:04,360 कौन जानता है कि अगले पचास वर्षों में क्या गुल खिलेंगे? 501 00:47:10,320 --> 00:47:15,000 जीवन की खोज. 502 00:47:17,520 --> 00:47:20,480 क्या आपने कभी ब्रह्माण्ड में जीवन के बारे में सोचा है? 503 00:47:20,480 --> 00:47:23,600 दूरवर्ती तारों के गिर्द जीव सृष्टि से ओतप्रोत ग्रह? 504 00:47:23,600 --> 00:47:26,520 सदियों से खगोलशास्त्री इस विषय पर चिंतन करते रहे हैं. 505 00:47:26,520 --> 00:47:30,960 आखिर ब्रह्माण्ड में इतनी सारी मंदाकिनियाँ बिखरी पड़ी हैं और प्रत्येक में ढेर सारे तारे हैं 506 00:47:30,960 --> 00:47:33,160 तो फिर पृथ्वी ही विशिष्ट क्यों? 507 00:47:34,520 --> 00:47:39,120 सन् 1995 में स्विस खगोलशास्त्री माइकेल मेयर और डिडियर क्विलोज़ 508 00:47:39,120 --> 00:47:43,680 वे प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने हमरे सौर मण्डल के बाहर एक सामान्य तारे की परिक्रमारत ग्रह को खोजा. 509 00:47:44,000 --> 00:47:48,480 तबसे ग्रह-खोजियों ने सैकड़ों दूसरे बाह्य ग्रह खोज निकाले हैं. 510 00:47:48,480 --> 00:47:53,800 छोटे-बड़े, गर्म-ठंडे विविध प्रकार के ग्रह. 511 00:47:54,600 --> 00:47:58,800 अब हम पृथ्वी जैसे ग्रहों को बस खोजने ही वाले हैं. 512 00:47:59,040 --> 00:48:04,840 और फिर भविष्य में: ऐसा ग्रह जिसपर जीवन हो - खगोलशास्त्रियों की मृगतृष्णा. 513 00:48:11,560 --> 00:48:15,080 यूरोपीयन सदर्न आब्जर्वेटरी बाह्य ग्रहों की खोज में 514 00:48:15,080 --> 00:48:17,320 प्रमुख भूमिका निभाती है. 515 00:48:18,200 --> 00:48:22,560 माइकेल मेयर के दल ने सेरो ला सिला से सैकड़ों बाह्य ग्रह खोज निकले हैं. 516 00:48:22,560 --> 00:48:25,880 यह स्थान चिली में हमारा प्रथम चरण था. 517 00:48:26,680 --> 00:48:28,880 यहाँ ये कोराली वर्णक्रममापी है, 518 00:48:28,880 --> 00:48:32,120 जो स्विस लियोंहार्ड आयलर दूरबीन पर लगा है. 519 00:48:33,840 --> 00:48:39,800 इसका काम है तारों में हलकी सी लड़खड़ाहट को मापना जो उनके गिर्द घूमते ग्रहों की गतियों के गुरुत्व के कारण उत्पन्न होती है. 520 00:48:40,000 --> 00:48:46,520 'ईएसओ' की सम्मान्य 3.6 मीटर व्यास की दूरबीन भी इस कार्य में सन्नद्ध है. 521 00:48:47,760 --> 00:48:51,320 इसका हार्प्स वर्णक्रममापी दुनिया भर में सबसे अधिक अचूक है. 522 00:48:51,320 --> 00:48:55,560 इसने अबतक 150 से अधिक ग्रह खोजे हैं. 523 00:49:00,600 --> 00:49:02,360 इसका सबसे बड़ा विजय चिन्ह है 524 00:49:02,360 --> 00:49:08,680 ये पांच से सात बाह्य ग्रहों का समृद्ध 'सौर मंडल'. 525 00:49:20,160 --> 00:49:22,560 पर बाह्य ग्रहों को खोजने के दूसरे तरीके भी हैं 526 00:49:30,760 --> 00:49:37,360 जैसे 1.5 मीटर व्यास की इस डेनिश दूरबीन ने एक दूरवर्ती ग्रह खोजा 527 00:49:37,360 --> 00:49:40,360 वो ग्रह पृथ्वी से पांच गुना वजनी निकला. 528 00:49:44,160 --> 00:49:48,160 कैसे इसे खोजा गया? गुरुत्वीय माइक्रोलेंसिंग के द्वारा. 529 00:49:48,880 --> 00:49:54,160 हुआ यह कि वो ग्रह अपने पितृ तारे के के साथ पृष्ठभूमि के एक बड़े चमकीले तारे के सामने से गुज़रा. 530 00:49:54,160 --> 00:49:56,320 इससे वो आवर्धित हो दिखाई दिया. 531 00:49:58,120 --> 00:50:03,280 कभी कभी तो आप सीधे अपने कैमरे में बाह्य ग्रह को कैद कर सकते हैं. 532 00:50:06,720 --> 00:50:13,240 जैसे, 'वीएलटी' पर लगे 'नाको' नामक एडेप्टिव ऑप्टिक्स वाले कैमरे ने 533 00:50:13,240 --> 00:50:17,240 किसी बाह्य ग्रह की पहली तस्वीर आँकी. 534 00:50:17,240 --> 00:50:23,040 इस चित्र में ये लाल धब्बा एक विशाल ग्रह है जो एक भूरे वामन तारे की परिक्रमा कर रहा है. 535 00:50:26,560 --> 00:50:31,640 वर्ष 2010 में 'नाको' ने एक कदम और आगे बढ़ा. 536 00:50:33,160 --> 00:50:37,320 ये तारा पृथ्वी से 130 प्रकाश वर्ष दूर है. 537 00:50:37,320 --> 00:50:43,600 ये सूर्य से कम उमरदार और चमकीला है, इसके गिर्द चार ग्रह बड़ी कक्षाओं में घूमते हैं, 538 00:50:45,720 --> 00:50:50,960 'नाको' की गिद्ध जैसी पैनी आँख ने इस ग्रह 'स' के प्रकाश को मापा, 539 00:50:50,960 --> 00:50:55,480 यह एक गैसों का बना गुरु से भी दस गुना भारी है, 540 00:50:56,840 --> 00:50:59,440 पितृ तारे के प्रकाश की कौंध के बावजूद 541 00:50:59,440 --> 00:51:03,440 ग्रह के मंद प्रकाश को वर्णक्रम में फैलाना संभव हुआ. 542 00:51:03,440 --> 00:51:06,400 इससे ग्रह के वातावरण के बारे में जानकारी मिली. 543 00:51:08,080 --> 00:51:14,680 आज अधिकांश बाह्य ग्रह उस समय खोजे जाते हैं जब वे अपने पितृ तारे के सामने से गुजरते हैं. 544 00:51:14,760 --> 00:51:18,040 यदि हमारे लिए ग्रह का कक्षातल दृष्टि रेखा पर हो 545 00:51:18,040 --> 00:51:21,400 तो हमें बार बार यह घटना देखने को मिलेगी. 546 00:51:21,400 --> 00:51:25,880 इस प्रकार तारे की चमक में हो रहा बहुत थोड़ा आवर्ती ह्रास 547 00:51:25,880 --> 00:51:29,320 ग्रह की उपस्थिति का भेद खोल देता है. 548 00:51:31,760 --> 00:51:36,600 ला सिल्ला की ट्रापिस्ट दूरबीन इन दुष्प्राप्य संक्रमणों की खोज करेगी. 549 00:51:37,240 --> 00:51:38,560 इसी बीच, 550 00:51:38,560 --> 00:51:45,120 'वीएलटी' ने एक संक्रमण करते ग्रह का अध्ययन बड़ी सूक्ष्मता से किया. 551 00:51:45,920 --> 00:51:53,840 मिलिए GJ1214b से, हमारी अपनी पृथ्वी से 2.6 गुना भारी ग्रह. 552 00:51:55,920 --> 00:52:01,800 संक्रमण के समय ग्रह का वायुमंडल पितृ तारे के प्रकाश का आंशिक अवशोषण करता है. 553 00:52:06,080 --> 00:52:11,760 'ईएसओ' के सुग्राही फौर्स नामक वर्णक्रममापी ने यह पता चलाया था कि 554 00:52:11,760 --> 00:52:16,000 यह ग्रह गर्म और वाष्प से भरे 'सौना' जैसा है. 555 00:52:18,600 --> 00:52:23,080 गैस के बने दैत्याकार ग्रह और इस ग्रह जैसे 'सौना' जगत जीवन के लिए प्रतिकूल हैं. 556 00:52:23,080 --> 00:52:25,840 पर हमारी खोज जारी है. 557 00:52:26,800 --> 00:52:31,640 शीघ्र ही 'वीएलटी' पर एक नया 'स्फीयर' नामक उपकरण लगाया जाने वाला है. 558 00:52:31,680 --> 00:52:37,080 'स्फीयर' में मंद प्रकाश वाले ग्रहों को अपने पितृ तारों की कौंध में ढूंढ लेने की क्षमता होगी. 559 00:52:38,400 --> 00:52:44,120 वर्ष 2016 में एस्प्रेस्सो नामक वर्णक्रममापी 'वीएलटी' में आ जुड़ेगा. 560 00:52:44,120 --> 00:52:48,120 ये हार्प्स नामक उपकरण को भी मात दे देगा. 561 00:52:49,760 --> 00:52:53,840 और जब 'ईएसओ' की अत्यधिक बड़ी दूरबीन तैयार हो जायेगी, 562 00:52:53,840 --> 00:52:57,800 तब हम शायद धरती के परे के अन्य जीवमंडलों के चिन्ह खोज पायें. 563 00:53:05,160 --> 00:53:08,080 पृथ्वी पर जीवन प्रचुर मात्रा में है. 564 00:53:09,720 --> 00:53:18,200 उत्तरी चिली को कुदरत ने गिद्ध, विकुना नामक ऊँट, विज्काचास नामक खरगोश जैसे चूहे और विशाल कैक्टस के पौधे दिए हैं. 565 00:53:20,680 --> 00:53:25,320 यहाँ तक कि अटाकामा मरुस्थल की शुष्क धरती भी बड़े दमदार जीवाणुओं से ओतप्रोत है. 566 00:53:29,600 --> 00:53:33,960 हमने अन्तःतारकीय जगत में जीवन के मूल घटक खोज निकले हैं. 567 00:53:35,000 --> 00:53:37,800 हमने ये भी जान लिया है कि ढेर सारे ग्रह उपस्थित हैं. 568 00:53:41,800 --> 00:53:46,840 अरबों वर्ष पूर्व धूमकेतुओं पृथ्वी पर पानी और जैविक अणु लेकर आये थे. 569 00:53:49,240 --> 00:53:52,960 क्या ऐसा अन्यत्र होने की सम्भावना नहीं है? 570 00:53:58,440 --> 00:54:00,200 अथवा, क्या हम ब्रह्माण्ड में नितांत अकेले हैं? 571 00:54:01,800 --> 00:54:03,840 ये एक बहुत पुराना और बड़ा प्रश्न है. 572 00:54:05,160 --> 00:54:08,200 और इसका उत्तर बस हमारी मुट्ठी में आने ही वाला है. 573 00:54:18,697 --> 00:54:24,816 बड़े उपकरणों का निर्माण. 574 00:54:29,320 --> 00:54:32,240 खगोलशास्त्र एक बड़ा विज्ञान है. 575 00:54:34,800 --> 00:54:36,817 और बाहर है विराट ब्रह्माण्ड, 576 00:54:36,842 --> 00:54:41,000 और ब्रह्माण्ड के अध्ययन के लिए जरूरी हैं विशाल उपकरण. 577 00:54:45,760 --> 00:54:50,519 ये है अमेरिका के पेलोमर शिखर पर स्थित 5 मीटर व्यास की हेल परावर्तक दूरबीन. 578 00:54:50,544 --> 00:54:55,470 जब पचास वर्ष पूर्व यूरोपीयन सदर्न आब्जर्वेटरी का पदार्पण हुआ 579 00:54:55,495 --> 00:54:58,600 तब वह दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन थी. 580 00:55:00,175 --> 00:55:05,455 'ईएसओ' की सेर्रो पारनाल में लगी वैरी लार्ज टेलीस्कोप एक अद्यतन उपकरण है. 581 00:55:06,299 --> 00:55:09,212 इतिहास की सबसे शक्तिशाली वेधशाला के बतौर इसने 582 00:55:09,237 --> 00:55:13,080 हमें इस ब्रह्मांड के पूरे सौंदर्य का परिचय दिलाया जिसके हम निवासी हैं. 583 00:55:15,720 --> 00:55:20,089 पर खगोलशास्त्रियों की निगाहें और भी बड़े उपकरणों पर लगी हैं. 584 00:55:20,114 --> 00:55:23,360 और 'ईएसओ' उनके इन सपनों को साकार करने में लगी है. 585 00:55:37,822 --> 00:55:40,142 सैन पेड्रो ड एटाकामा. 586 00:55:41,424 --> 00:55:45,410 असाधारण बहार और प्राकृतिक चमत्कारों से भरी इस धरती पर 587 00:55:45,435 --> 00:55:49,484 ये मनोहर क़स्बा देशी एटाकामॉस लोगों का घर है. 588 00:55:49,509 --> 00:55:52,040 और ऐसे साहसिक पर्यटकों का भी. 589 00:55:54,280 --> 00:55:58,080 और 'ईएसओ' के खगोलशास्त्रियों और तकनीशियनों का भी. 590 00:56:03,400 --> 00:56:07,696 और सैन पेड्रो के पास ही 'ईएसओ' की पहली महत्वाकांक्षी मशीन आकार ले रही है. 591 00:56:07,721 --> 00:56:13,080 इसका नाम है 'एल्मा' यानि एटाकामा लार्ज मिलीमीटर/सबमिलीमीटर अरे. 592 00:56:14,160 --> 00:56:19,491 'एल्मा' यूरोप, उत्तरी अमेरिका और पूर्वी एशिया का संयुक्त उद्यम है. 593 00:56:19,889 --> 00:56:23,057 ये एक विशाल ज़ूम लेंस के माफिक काम करता है. 594 00:56:23,082 --> 00:56:28,076 इसके 66 एंटेने जब पास पास होते हैं तो हमें चौड़ा दृश्य फलक देते है. 595 00:56:28,101 --> 00:56:33,838 पर इन्हें फैला दीजिए तो ये आकाश के एक छोटे से क्षेत्र का आवर्धित रूप दिखाते हैं. 596 00:56:35,760 --> 00:56:40,643 सबमिलीमीटर तरंगों में 'एल्मा' ब्रह्माण्ड का कुछ दूसरा नजारा दिखाएगा. 597 00:56:40,668 --> 00:56:42,120 वो क्या होगा? 598 00:56:43,663 --> 00:56:49,160 ब्रह्माण्ड के जन्म कुछ समय बाद हुयी प्रथम मंदाकिनियों के जन्म की प्रक्रिया. 599 00:56:51,880 --> 00:56:54,746 आण्विक गैस के ठंडे धूल भरे बादल. 600 00:56:54,771 --> 00:56:58,600 तारों की पौधशालाएं जहाँ नए सूर्यों और ग्रहों का जन्म होता है. 601 00:57:02,200 --> 00:57:04,760 और, ब्रह्मांड का रसायन शास्त्र. 602 00:57:08,560 --> 00:57:13,560 'एल्मा' जीवन के आधारस्तंभ जैविक अणुओं को खोजेगा. 603 00:57:17,680 --> 00:57:21,480 'एल्मा' के एंटेनाओं का निर्माण युद्ध स्तर पर चल रहा है. 604 00:57:22,440 --> 00:57:26,095 ऑटो और लोर नमक ये दो विशाल परिवाहक 605 00:57:26,120 --> 00:57:30,101 सम्पूरित एंटेनाओं को चायनन्तोर पठार पर ऊपर चढ़ाएंगे. 606 00:57:36,200 --> 00:57:38,286 समुद्र तल से 5000 मीटर की ऊंचाई पर 607 00:57:38,311 --> 00:57:42,399 ये एरे माईक्रोवेव ब्रह्माण्ड के अभूतपूर्व दर्शन कराएगा. 608 00:57:49,662 --> 00:57:51,688 जब 'एल्मा' लगभग पूरा हो चूका होगा, 609 00:57:51,713 --> 00:57:55,961 तब 'ईएसओ' को अपने लक्ष्य तक पहुँचने में कई और वर्ष लगेंगे. 610 00:57:55,986 --> 00:57:57,868 आप वो पर्वत शिखर देख रहे हैं? 611 00:57:57,893 --> 00:58:00,160 इसका नाम है सेरो आर्माजोंस. 612 00:58:02,320 --> 00:58:04,048 ये पारनाल से बहुत दूर नहीं है. 613 00:58:04,073 --> 00:58:09,286 यहाँ लगेगी मानव इतिहास की सबसे बड़ी दूरबीन. 614 00:58:09,659 --> 00:58:14,080 मिलिए यूरोपीय अत्यंत बड़ी दूरबीन या E-ELT से. 615 00:58:14,520 --> 00:58:17,240 ये होगी आकाश पर सधने वाली अब तक की सबसे बड़ी आँख. 616 00:58:22,000 --> 00:58:25,500 इसके दर्पण का व्यास लगभग 40 मीटर होगा. 617 00:58:25,525 --> 00:58:30,465 जिससे ये अपने से पहले की सभी दूरबीनों को बौना बना देगी. 618 00:58:32,838 --> 00:58:36,198 इसमें हैं लगभग 800 कम्पूटर नियंत्रित दर्पण के भाग 619 00:58:37,917 --> 00:58:41,930 जटिल आप्तिकी ताकि प्रखरतम चित्र मिलें. 620 00:58:44,510 --> 00:58:47,317 दूरबीन कक्ष का गुम्बद एक चर्च से भी बड़ा. 621 00:58:52,520 --> 00:58:56,844 E-ELT में सबकुछ अतिशयपूर्ण है. 622 00:59:00,167 --> 00:59:04,647 पर सबसे बड़े आश्चर्य तो वास्तव में बाहर ब्रह्माण्ड में समाये हैं. 623 00:59:10,120 --> 00:59:14,415 E-ELT उजागर करेगी दुसरे तारों के गिर्द घूमते ग्रहों को. 624 00:59:18,160 --> 00:59:22,384 इसका ऑट्स वर्णक्रममापी दूसरे धरातीत संसारों के वायुमंडलों को सूंघेगा. 625 00:59:22,409 --> 00:59:24,520 इस आशा से कि जीवन के कोइ चिह्न वहां मिल जांय. 626 00:59:28,320 --> 00:59:33,969 इसके अलावा E-ELT मंदाकिनियों के अलग अलग तारों का अध्ययन करेगी. 627 00:59:33,994 --> 00:59:38,480 ऑट्स से कम करना पड़ोस के शहर के निवासियों से प्रथम बार मिलने जैसा है. 628 00:59:39,706 --> 00:59:42,181 मानों हम ब्रह्माण्ड की टाइम मशीन पर बैठे हों. 629 00:59:42,206 --> 00:59:45,845 विशाल दूरबीन हमें समय में अरबों वर्ष पीछे ले जाती है, 630 00:59:45,870 --> 00:59:47,800 ताकि हम जान सकें कि यह सब शुरू कैसे हुआ. 631 00:59:51,680 --> 00:59:55,461 शायद यह ब्रह्मांड के त्वरण की पहेली को सुलझा ले 632 00:59:55,486 --> 00:59:59,955 वो आश्चर्यजनक तथ्य कि मंदाकिनियाँ परस्पर दूरियां निरंतर बढ़ती जा रही है. 633 00:59:59,980 --> 01:00:02,040 तेज़ी से और भी तेज़ी से. 634 01:00:13,960 --> 01:00:18,320 खगोलशास्त्र जितना बड़ा विज्ञान है उतनी ही बड़ी इसकी पहेलियाँ हैं. 635 01:00:18,628 --> 01:00:20,195 क्या धरातीत जीवन है? 636 01:00:20,354 --> 01:00:22,160 ब्रह्मांड का उद्भव कैसे हुआ? 637 01:00:23,358 --> 01:00:28,345 'ईएसओ' की नयी दैत्याकार दूरबीन हमारी इन जिज्ञासाओं को शान्त करेगी. 638 01:00:28,370 --> 01:00:31,994 हम अभी उस लक्ष्य तक पहुंचे नहीं हैं पर ज्यादा समय नहीं लगेगा. 639 01:00:32,400 --> 01:00:33,720 तो फिर क्या होगा अगला साहसिक अभियान? 640 01:00:33,720 --> 01:00:35,550 किसी को नहीं मालूम. 641 01:00:35,575 --> 01:00:38,360 पर वो जो भी हो 'ईएसओ' उसके लिए तैयार है.